प्रेरण वाटमीटर के प्रकारों का वर्णन कीजिए?

दोस्तों आज इस आर्टिकल में हम जानेंगे प्रेरण वाटमीटर के प्रकार के बारे में बहुत ही अच्छे तरीके से इन सब के बारे में जानकारी देने वाला हूं| तो चलिए शुरू करते हैं |

प्रेरण वाटमीटर के प्रकार-

(1) कोर प्रकार के प्रेरण वाटमीटर (Core Type Induction Wattmeter)

(2) दोहरा चुम्बक प्रकार के प्रेरण वाटमीटर (Double Magnet Type Induction Wattmeter)

(1) कोर प्रकार के प्रेरण वाटमीटर

कोर प्रकार के प्रेरण वाटमीटर में चल तन्त्र एल्युमिनियम का बेलन (Cylinder) होता है जो क्रॉस आकार (Cross Shaped) की पटलित कोर पर स्थापित किया होता है। इस पटलित कोर पर कुण्डलन की हुई होती है। यह कुण्डलन धारा कुण्डली का कार्य करती है। इसे बेलन की धुरी से बियरिंग में कीलित किया होता है। यह बेलन दो ध्रुवीय विद्युत चुम्बक के अन्तराल (Gap) में रखा जाता है। इस पर विद्युत चुम्बक, दाब कुण्डली (Pressure coil) का कार्य करता है।

चालन बलाघूर्ण (T₁) शक्ति के समानुपाती होता है व स्प्रिंग नियंत्रण बलाघूर्ण, घूर्णन कोण (Angle of rotation) के समानुपात में होता है। अतः नियंत्रण (T) भी भार की शक्ति के समानुपाती होता है। डायनमोमीटर प्रकार के वाटमीटर की तुलना में इस प्रकार के वाटमीटर की वोल्टता या दाब कुण्डली (PC) में उच्च प्रेरकत्व होता है जो इस प्रकार के यंत्र के संचालन में उपयुक्त है।

(2) दोहरा चुम्बक प्रकार के प्रेरण वाटमीटर

दोहरे चुम्बक प्रेरण बाटमीटर में दो विद्युत चुम्बक वोल्टता या दाब चुम्बक और धारा चुम्बक (Current Magnet) या श्रेणी चुम्नक (Series magnet) होते. हैं जिनके मध्य एक एल्युमिनियम (या ताम्र) की चकती (Disc) स्थापित की जाती है जैसा चित्र में दिखाया गया है वोल्टता चुम्बक पद कला समजन (Phece adjustment) के लिए एक लघु पथ ताम्र का छल्ला लगाया होता है। इन्हें अवमंदन चुम्बक (Damping magnet) द्वारा भवर धारा से अवमंदित किया जाता है।

धारा परास (Current range) 5 से 50A तक रहती है एवं बोल्टता परास (Voltage range) 750 V तक होती है। C.T. तथा P.T. के प्रयोग से यंत्र की परास बढ़ाई जा सकती है।

प्रेरण वाटमीटर में त्रुटियां-

  1. तापक्रम में परिवर्तन के कारण चल तत्व (Moving element) प्रतिरोध में हो जाता है जिससे भंवर धारा परिवर्तित होने से कार्यकारी बलाघूर्ण पर प्रभाव पड़ता है।
  2. आवृत्ति (Frequency) में परिवर्तन के कारण वोल्टता कुण्डली के प्रतिघात (Reactance) में परिवर्तन से धारा के मान पर प्रभाव पड़ता है तत्पश्चात् घूर्णन बलाघूर्ण पर प्रभाव पड़ता है और संकेतक त्रुटि दर्शाता है।

प्रेरण वाटमीटर के लाभ-

  1. इसके स्केल का फैलाव 300° तक का होता है।
  2. इस पर अवांछित चुम्बकीय क्षेत्र (Stray magnetic field) का कोई प्रभाव नहीं होता है।
  3. इनमें अवमंदन प्रभावी होता है।

प्रेरण वाटमीटर की हानियां-

  1. इसमे शक्ति हानि (Power loss) अधिक होती है।
  2. ये केवल A.C. पर ही कार्य करते हैं।
  3. इसमें तापक्रम परिवर्तन से गंभीर त्रुटि आ सकती है।
  4. इसमें उच्च विक्षेप के कारण स्प्रिंग पर उच्च प्रतिबल कार्य करने से कम समय में ही स्प्रिंग में थकान उत्पन्न हो सकती है।

आज आपने क्या सीखा :-

अब आप जान गए होंगे कि प्रेरण वाटमीटर के प्रकार इन सभी सवालों का जवाब आपको अच्छी तरह से मिल गया होगा|

उम्मीद करता हूं कि मेरे द्वारा दी गई जानकारी आपको पसंद आई होगी अगर आपके मन में कोई भी सवाल/सुझाव है तो मुझे कमेंट करके नीचे बता सकते हो मैं आपके कमेंट का जरूर जवाब दूंगा| अगर आपको यह पोस्ट पसंद आई है तो अपने दोस्तों रिश्तेदारों के साथ में शेयर भी कर सकते हो

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