एक दिष्टधारा शंट मोटर के प्रचालन हेतु प्रयुक्त तीन बिन्दु प्रवर्तक का आरेख बनाकर कार्यप्रणाली को समझाइए?

दोस्तों आज इस आर्टिकल में हम जानेंगे त्रि बिन्दु मोटर प्रारम्भक के बारे में बहुत ही अच्छे तरीके से इन सब के बारे में जानकारी देने वाला हूं| तो चलिए शुरू करते हैं |

त्रि बिन्दु मोटर प्रारम्भक –

प्रारम्भक की आंतरिक रचना चित्रानुसार है। इसमें तीन टर्मिनल, L लाइन F या Z शंट क्षेत्र और A आर्मेचर के लिए होते हैं। हैंडल के साथ एक नर्म लोहे का टुकड़ा लगा हुआ है। यह लोह खण्ड जब हैंडल को ON स्थिति में लाता है तो चुम्बकाय कुण्डली (magnetising coil) से आकर्षित होकर हैंडल को ON स्थिति में रखता है। हैंडल में लगी हुई कमानी (spring) हैंडल को जब मोटर बंद होती है तो OFF अवस्था में लाती है जब मोटर को प्रारम्भकरना होता है तो हँडल को प्रथम बटन (stud) पर लाते हैं जिससे मोटर चलने लगती है और तत्पश्चात् धीरे-धीरे हैंडल को ON स्थिति की ओर घुमाते हैं। ON स्थिति में लाने से आर्मेचर परिपथ में लगाया गया अतिरिक्त प्रतिरोध हट जाता है।

प्रारम्भक में चुम्बकीय कुण्डली (बोल्टताहीन विमुक्ति कुण्डली) शंट क्षेत्र के श्रेणी क्रम में लगी रहती है और जब हैंडल को प्रथम स्टेंड पर लाते हैं तो विद्युत प्रदाय से युजित हो जाती है और ON स्थिति में लाने पर यह कुण्डली हैंडल को रोके रखती है। परंतु जब किसी कारण से इसे आवश्यक वोल्टता नहीं मिल पाती तो यह शक्तिहीन हो जाती है और हैंडल को ON स्थिति में रखने में असमर्थ होती है और हैंडल स्प्रिंग दाब के कारण OFF स्थिति में आ जाता है। यदि हैंडल मोटर के बंद होने के पश्चात् भी ON स्थिति में रहे तो पुनः मोटर को प्रदाय से प्रयुक्त वोल्टता मिलने पर इसमें प्रारम्भिक उच्च धारा के कारण कई हानियों की सम्भावना हो सकती है। इस प्रकार चुम्बकीय कुण्डली (no-volt coil) मोटर की होने वाली क्षति से रक्षा करती है।

आज आपने क्या सीखा :-

अब आप जान गए होंगे कि त्रि बिन्दु मोटर प्रारम्भक इन सभी सवालों का जवाब आपको अच्छी तरह से मिल गया होगा|

उम्मीद करता हूं कि मेरे द्वारा दी गई जानकारी आपको पसंद आई होगी अगर आपके मन में कोई भी सवाल/सुझाव है तो मुझे कमेंट करके नीचे बता सकते हो मैं आपके कमेंट का जरूर जवाब दूंगा| अगर आपको यह पोस्ट पसंद आई है तो अपने दोस्तों रिश्तेदारों के साथ में शेयर भी कर सकते हो

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