दोस्तों आज इस आर्टिकल में हम जानेंगे मध्यम प्रतिरोध मापन हेतु प्रतिस्थापन विधि के बारे में बहुत ही अच्छे तरीके से इन सब के बारे में जानकारी देने वाला हूं| तो चलिए शुरू करते हैं |
प्रतिस्थापन विधि –
चित्र में प्रतिस्थापनविधि का परिपथ दर्शाया गया है जिसमें R अज्ञात प्रतिरोध है जबकि S एक मानक परिवर्ती प्रतिरोध है। A एक अमीटर है और एक regulating प्रतिरोध है। एक स्विच की सहायता से R तथा S को बारी-बारी से परिपथ में जोड़ा जाता है।

जब स्विच 1 पर होता है तब प्रतिरोध R परिपथ में जुड़ जाता है। Regulating प्रतिरोध r को तब तक समायोजित किया जाता है जब तक अमीटर संकेतक एक choosen scale mark पर व्यवस्थित हो जाए, अब स्विच 2 पर कर देते हैं तब मानक परिवर्ती प्रतिरोध S परिपथ में जुड़ जाता है। S का मान तब तक परिवर्तित किया जाता है जब तक समान विक्षेप (जैसा प्रतिरोध R को Circuit में लगाने पर) प्राप्त होता है।
S के dials की settings पढ़ लेते हैं। अज्ञात प्रतिरोध R का मान S के dials की settings के बराबर होता है। यह विधि मध्यम प्रतिरोध के मापन में काम आती है। यह अमीटर-वोल्टमीटर विधि से अधिक यथार्थ विधि है
आज आपने क्या सीखा :-
अब आप जान गए होंगे कि मध्यम प्रतिरोध मापन हेतु प्रतिस्थापन विधि इन सभी सवालों का जवाब आपको अच्छी तरह से मिल गया होगा|
उम्मीद करता हूं कि मेरे द्वारा दी गई जानकारी आपको पसंद आई होगी अगर आपके मन में कोई भी सवाल/सुझाव है तो मुझे कमेंट करके नीचे बता सकते हो मैं आपके कमेंट का जरूर जवाब दूंगा| अगर आपको यह पोस्ट पसंद आई है तो अपने दोस्तों रिश्तेदारों के साथ में शेयर भी कर सकते हो