स्थाई चुम्बक चल कुण्डली उपयंत्र की संरचना एवं कार्य सिद्धान्त समझाइए?

दोस्तों आज इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि स्थाई चुम्बक चल कुण्डली उपयंत्र की संरचना के बारे में बहुत ही अच्छे तरीके से इन सब के बारे में जानकारी देने वाला हूं| तो चलिए शुरू करते हैं |

कार्यप्रणाली (Working Principle)

यंत्र को प्रदाय से युजित करने पर कुण्डली में स्प्रिंग के द्वारा धारा प्रवाहित होती है। चुम्बकीय क्षेत्र में होने पर कुण्डली पर विक्षेपण बल लगता है जिससे कुण्डली अपनी स्पिण्डल पर घूमती है और स्पिण्डल पर लगा संकेतक अंशांकित पैमाने पर पाठ्यांक दर्शाता है। पैमाने पर प्राप्त विक्षेप कुण्डली में प्रवाहित धारा के समानुपाती होता है।

संरचना (Construction)

इसमें स्थाई घोड़े की नाल (horse shoe) के आकार का द्विध्रुवीय चुम्बक होता है। ध्रुवों के मध्य एक आयताकार कुण्डली एक हल्के एल्युमिनियम फरमे (former) पर ताम्र की पतली तार से लपेटी होती है जिसमें अनेंको वर्तन (turns) दिए होते हैं। कुण्डली को चुम्बकीय क्षेत्र के मध्य स्थिर मृदु लौह क्रोड पर रखा जाता है। मृदु क्रोड ध्रुवों के मध्य प्रतिष्टम्भ (reluctance) को कम करती है। कुण्डली के मध्य लगी स्पिण्डल (spindle) पर कुण्डली के ऊपर तथा नीचे बिपरीत दिशा में लपेटे दिए, Phosphorus bronze की बाल कमानी (Hair spring) नियंत्रण बलाघूर्ण देने के लिए लगाई जाती है। बाल कमानी विपरीत दिशा में लगाने से ताप का प्रभाव उदासीन (Neutralize) हो जाता है।

विद्युत धारा Phosphorus bronze स्प्रिंग के द्वारा कुण्डली में प्रवाहित होती है। स्प्रिंग का कार्य यंत्र को नियंत्रण बलाघूर्ण देना है। कुण्डली की स्पिण्डल (spindle) पर एक हल्का संकेतक (pointer) लगाया जाता है। संकेतक एक अंशांकित (calibrated) डायल के पैमाने (scale) पर धारा या वोल्टता का मान प्रदर्शित करता है।

स्पिण्डल हीरे (jewel) के शंकु आकार के बियरिंग पर टिकी (pivoted) होती है। डायल पर यंत्र का विवरण प्रतीकों से दिया होता है। संकेतक को शून्य पर समायोजित करने के लिए एक पेंच लगाया जाता है।

अनुप्रयोग (Applications)

  1. जब PMMC को अमीटर की तरह उपयोग किया जाता है तो, मूविंग क्वॉइल को निम्न प्रतिरोधक शंट के सापेक्ष कनेक्ट किया जाता है जिससे मुख्य धारा का थोड़ा भाग ही क्वॉइल में प्रवाह होता है।
  2. जब PMMC को वोल्टमीटर की तरह उपयोग किया जाता है तो, क्वॉइल को उच्च प्रतिरोध के साथ सीरिज में कनेक्ट किया जाता है। जिससे मूविंग क्वॉइल को अमीटर या वोल्टमीटर की तरह उपयोग किया जा सकता है। इसका प्रयोग करने में तापमान के कारण उत्पन्न हुई त्रुटि दूर हो जाती

आज आपने क्या सीखा :-

अब आप जान गए होंगे कि स्थाई चुम्बक चल कुण्डली उपयंत्र की संरचना इन सभी सवालों का जवाब आपको अच्छी तरह से मिल गया होगा|

उम्मीद करता हूं कि मेरे द्वारा दी गई जानकारी आपको पसंद आई होगी अगर आपके मन में कोई भी सवाल/सुझाव है तो मुझे कमेंट करके नीचे बता सकते हो मैं आपके कमेंट का जरूर जवाब दूंगा| अगर आपको यह पोस्ट पसंद आई है तो अपने दोस्तों रिश्तेदारों के साथ में शेयर भी कर सकते हो

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