भू-परीक्षक क्या है? भू-परीक्षक द्वारा भू-प्रतिरोध किस तरह नापा जाता है, समझाइये?

दोस्तों आज इस आर्टिकल में हम जानेंगे भू-परीक्षक के बारे में बहुत ही अच्छे तरीके से इन सब के बारे में जानकारी देने वाला हूं| तो चलिए शुरू करते हैं |

अर्थ टेस्टर –

भूमि के प्रतिरोध का मापन एक विशेष प्रकार के मैगर की सहायता से किया जाता है इसका परिपथ चित्र में प्रदर्शित है। इस परिपथ में दिष्टकारी (Rectifier) तथा घूर्णक धारा परावर्तक (Rotating current reverse) युक्तियों का प्रयोग किया गया है।

भू-परीक्षक में चार टर्मिनल P, P₂, C, तथा C, होते हैं। दो टर्मिनल P, तथा C, को साथ संयोजित किया जाता है तथा इनसे अर्थ इलेक्ट्रॉड को जोड़ दिया जाता है। P, तथा C₂ टर्मिनलों से दो सहायक इलेक्ट्रॉड P तथा C जुड़े रहते हैं।

भू-परीक्षक अर्थ इलेक्ट्रॉड द्वारा भूमि में प्रत्यावर्ती धारा भेजता है जब शेष परिपथ में दिष्ट धारा प्रवाहित होती है तो भू-परीक्षक अर्थ इलेक्ट्रॉड द्वारा भूमि में प्रत्यावर्ती धारा भेजता है। भू-प्रतिरोध का मान ज्ञात करने के लिए दिष्ट धारा जनित्र को एक स्थिर (constant) गति से घुमाया जाता है जब कि संकेतक एक स्थिर पाठ्यांक नहीं देता है।

उपयंत्र सीधे ही प्रतिरोध का मान बतलाता है परन्तु कभी-कभी संकेतक कम्पन करता है। इस स्थिति में जनित्र की चाल में परिवर्तन किया जाता है जिससे स्ट्रे प्रत्यावर्ती धारा की आवृत्ति उपयंत्र धारा आवृत्ति से कम या अधिक हो जाए तथा पाठ्यांकों पर कोई प्रतिकूल प्रभाव न पड़े।

आज आपने क्या सीखा :-

अब आप जान गए होंगे कि भू-परीक्षक इन सभी सवालों का जवाब आपको अच्छी तरह से मिल गया होगा|

उम्मीद करता हूं कि मेरे द्वारा दी गई जानकारी आपको पसंद आई होगी अगर आपके मन में कोई भी सवाल/सुझाव है तो मुझे कमेंट करके नीचे बता सकते हो मैं आपके कमेंट का जरूर जवाब दूंगा| अगर आपको यह पोस्ट पसंद आई है तो अपने दोस्तों रिश्तेदारों के साथ में शेयर भी कर सकते हो

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