दोस्तों आज इस आर्टिकल में हम जानेंगे चार बिन्दु प्रवर्तक के बारे में बहुत ही अच्छे तरीके से इन सब के बारे में जानकारी देने वाला हूं| तो चलिए शुरू करते हैं |
चार बिन्दु प्रवर्तक –
यह स्टार्टर उन शन्ट तथा कम्पाउण्ड मोटरों के लिये प्रयोग किया जाता है जहां पर स्टार्टर द्वारा ही मोटर की गति को नियन्त्रण (regulate) करना हो। इस स्टार्टर में चार प्वाइन्ट होते हैं। 3 प्वाइन्ट L, Z तथा A तथा एक चौथा प्वॉइन्ट N होता है जिसमें सप्लाई लाइन का ऋणात्मक तार दिया जाता है जैसा कि चित्र में दिखाया गया है।
चार प्वॉइन्ट स्टार्टर में वोल्टताहीन कुण्डली मोटर की क्षेत्र कुण्डली की श्रेणी में नहीं जोड़ी जाती बल्कि दिष्ट धारा सप्लाई के पार्श्व में प्रारम्भन प्रतिरोध (R_{s}) की श्रेणी में जोड़ी जाती है। वोल्टताहीन कुण्डली (no-volt coil) मुख्य सप्लाई के सीधे पार्श्व में होती है ताकि OC के सम्पर्कों की लघुपथित सप्लाई होने पर सुरक्षा हो सके।
इसके लिये वोल्टताहीन कुण्डली (no-load coil (NC)) की श्रेणी में एक सुरक्षात्मक प्रतिरोध R भी लगा दिया जाता है जैसा कि चित्र में दिखायागया है। इसका अभिप्राय यह है कि OC कुण्डली द्वारा लीवर उठाने के समय NC के लघुपथित हो जाने पर उसमें से नाशक धारा रूक जाये तथा कुण्डली सुरक्षित रहे। यहां पर भी वोल्टताहीन कुण्डली का कार्य तीन प्वॉइन्ट स्टार्टर के समान ही है। स्टार्टर के आन्तरिक संयोजन चित्र में दिखाये गये हैं। इसमें अधिभार कुण्डली O.C. (over load coil) भी लगी होती है जो कि वोल्टताहीन कुण्डली को लघु परिपथ (short circuit) कर देती है जबकि धारा किसी विशिष्ट मान (specified value) से बढ़ जाती है। प्रायः चार प्वॉइन्ट स्टार्टर एक अतिरिक्त क्षेत्र को कमजोर करने वाले प्रतिरोध के साथ गति नियन्त्रण के लिये लगाये जाते हैं।

आज आपने क्या सीखा :-
अब आप जान गए होंगे कि चार बिन्दु प्रवर्तक इन सभी सवालों का जवाब आपको अच्छी तरह से मिल गया होगा|
उम्मीद करता हूं कि मेरे द्वारा दी गई जानकारी आपको पसंद आई होगी अगर आपके मन में कोई भी सवाल/सुझाव है तो मुझे कमेंट करके नीचे बता सकते हो मैं आपके कमेंट का जरूर जवाब दूंगा| अगर आपको यह पोस्ट पसंद आई है तो अपने दोस्तों रिश्तेदारों के साथ में शेयर भी कर सकते हो