बाह्य अभिलक्षण वक्र दिष्टधारा शन्ट जनित्र पर टिप्पणी लिखिए?

दोस्तों आज इस आर्टिकल में हम जानेंगे बाह्य अभिलक्षण वक्र दिष्टधारा शन्ट जनित्र पर के बारे में बहुत ही अच्छे तरीके से इन सब के बारे में जानकारी देने वाला हूं| तो चलिए शुरू करते हैं |

शन्ट जनित्र का चुम्बकीय अभिलक्षण वक्र –

जब जनित्र पर कोई लोड नहीं होता तो शन्ट कुण्डली को आर्मेचर के श्रेणी में माना जा सकता है। आरम्भ में जनित्र के क्षेत्र चुम्बकों में अवशिष्ट चुम्बकत्व होने के कारण आर्मेचर के घूमने से फ्लक्स संवाहकों द्वारा कटता है जिससे संवाहकों में कुछ प्रेरित वि.वा.ब. उत्पन्न होता है। यह प्रेरित वि.वा.ब. चुम्बकीय क्षेत्र में धारा भेजता है और यह धारा चुम्बकीय क्षेत्र की सामर्थ्य को शक्तिशाली बनाती है। इसका परिणाम यह होता है कि प्रेरित वि.वा.ब. में वृद्धि होती है और यह पुनः पहले की अपेक्षा अधिक धारा शन्ट क्षेत्र में भेजता है जिससे क्षेत्र सामर्थ्य पहले की अपेक्षा बढ़ जाती है।

यह क्रिया तब तक चलती रहती है जब तक मशीन पूर्ण वि.वा.ब. न उत्पन्न कर ले। एक दी हुई गति के लिए मशीन में उत्पादित वोल्टता मशीन के चुम्बकीय वक्न (magnetisation curve) पर और क्षेत्र के सम्पूर्ण प्रतिरोध पर निर्भर करती है।

यह उत्पादित वि.वा.ब.

(1) क्षेत्र कुण्डलन में ओमिक पात (ohmic drop) प्रदान करता है और

(2) क्षेत्र कुण्डलन में विरोधी स्व-प्रेरित वि.वा.ब. L.di/dt को निष्प्रभावित ( overcome) करता है।

आज आपने क्या सीखा :-

अब आप जान गए होंगे कि बाह्य अभिलक्षण वक्र दिष्टधारा शन्ट जनित्र पर इन सभी सवालों का जवाब आपको अच्छी तरह से मिल गया होगा|

उम्मीद करता हूं कि मेरे द्वारा दी गई जानकारी आपको पसंद आई होगी अगर आपके मन में कोई भी सवाल/सुझाव है तो मुझे कमेंट करके नीचे बता सकते हो मैं आपके कमेंट का जरूर जवाब दूंगा| अगर आपको यह पोस्ट पसंद आई है तो अपने दोस्तों रिश्तेदारों के साथ में शेयर भी कर सकते हो

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