दोस्तों आज इस आर्टिकल में हम जानेंगे एक कलीय प्रेरण प्रकार की ऊर्जामापी की त्रुटियों के बारे में बहुत ही अच्छे तरीके से इन सब के बारे में जानकारी देने वाला हूं| तो चलिए शुरू करते हैं |
एक कलीय प्रेरण ऊर्जामापी में विभिन्न प्रकार की त्रुटियां उपस्थित होती हैं एवं उनका निराकरण निम्न प्रकार किया जाता है-
- कला त्रुटि (Phase Error) – ऊर्जामापी के लिए यह आवश्यक हैकि वह सभी प्रकार के शक्ति गुणकों का उचित मापन करे तथा यथार्थ मापन के लिए जरूरी है कि शन्ट चुम्बक तथा उत्पन्न फ्लक्स तथा आरोपित विभव में 90° कलान्तर हो। परन्तु कुण्डली के प्रतिरोध तथा लौह हानि के कारण कलान्तर का मान 90° से कम होता है। इस त्रुटि के निराकरण के लिए शन्ट चुम्बक की मध्य वाली भुजा पर लगे ताम्र छाद्रित छल्ले (Copper Shading Band) का समायोजन किया जाता है।
- गति त्रुटि (Speed Error)- यह त्रुटि तब उत्पन्न होती है जबऊर्जामापी को अप्रेरक (Non-inductive) लोड के लिए प्रयोग में लाया जाता है। इस त्रुटि के निराकरण के लिए ब्रेक चुम्बक की स्थिति को समायोजित किया जाता है। इस ब्रेक चुम्बक को चकती के केन्द्र की ओर सरकाने पर रोटर की गति बढ़ जाती है क्योंकि ब्रेकिंग वलयुग्म का मान घट जाता है।
- घर्षण त्रुटि (Friction Error)- यह त्रुटि, ऊर्जामापी के यांत्रिक भागों (Mechanical parts) में घर्षण के कारण उत्पन्न होती है। इसके निराकरण के लिए शन्ट चुम्बक की बाह्य भुजाओं पर लगे छाद्रित छल्लों (Shading bands) को समायोजित किया जाता है। चुम्बक की बाह्य भुजाओं में उपस्थित फ्लक्स को इन छाद्रित छल्लों द्वारा ग्रहण कर लिया जाता है जिससे भंवर धाराएं उत्पन्न हो जाती हैं तथा इन भंवर धाराओं के कारण चकती पर एक सूक्ष्म चालन बलाघूर्ण कार्य करने लगता है। इस प्रकार छाद्रित छल्लों की स्थिति को समायोजित करके घर्षण त्रुटि का निराकरण किया जा सकता है।
- रेंगन त्रुटि (Creeping Error)- जब केवल शन्ट चुम्बक की दाब कुण्डली तो ऊर्जित रहती हो लेकिन धारा कुण्डली में कोई धारा प्रवाहित नहीं होती, तब कुछ ऊर्जामापियों में रोटर उस स्थिति में भी गति (रंगता) करता है, इसे ही रेंगन त्रुटि कहा जाता है। इस त्रुटि के निराकरण के लिए चकती में धुरे के दोनों ओर परस्पर विपरीत दो छिद्र बनाए जाते हैं। जब कोई भी छिद्र चुम्बकीय ध्रुव के नीचे आता है तो घूर्णन रूक जाता है।
- तापमान तथा आवृत्ति के कारण (Due to Temperature and Frequency)- ऊर्जामापी पर तापमान का प्रभाव नगण्य होता है। तापमान में परिवर्तन से धात्विक भागों का प्रतिरोध बढ़ जाता है अतः भंवर धाराओं का मान कम हो जाता है। भंवर धाराओं का मान घटने के कारण चालन व ब्रेकिंग बलाघूर्ण का मान कम हो जाता है तथा आरोपित विभव व फ्लक्स के बीच कलान्तर का मान भी कम हो जाता है लेकिन इसका प्रभाव बहुत कम होता है। शक्ति गुणन का मान एकांक से कम होने पर यह प्रभाव बहुत अधिक होता है।
ऊर्जामापी सामान्यतः निश्चित आवृत्ति पर प्रयोग में लिए जाते हैं अत्तः निश्चित आवृत्ति पर न्यूनतम त्रुटि के लिए समायोजित कर लिया जाता है
आज आपने क्या सीखा :-
अब आप जान गए होंगे कि एक कलीय प्रेरण प्रकार की ऊर्जामापी की त्रुटियों इन सभी सवालों का जवाब आपको अच्छी तरह से मिल गया होगा|
उम्मीद करता हूं कि मेरे द्वारा दी गई जानकारी आपको पसंद आई होगी अगर आपके मन में कोई भी सवाल/सुझाव है तो मुझे कमेंट करके नीचे बता सकते हो मैं आपके कमेंट का जरूर जवाब दूंगा| अगर आपको यह पोस्ट पसंद आई है तो अपने दोस्तों रिश्तेदारों के साथ में शेयर भी कर सकते हो