दोस्तों आज इस आर्टिकल में हम जानेंगे CRO के विभिन्न भाग के बारे में बहुत ही अच्छे तरीके से इन सब के बारे में जानकारी देने वाला हूं| तो चलिए शुरू करते हैं |
1. कैथोड किरण नलिका –
CRT, CRO का मुख्य भाग होता है। इसका उपयोग इलेक्ट्रॉनों की फोकस्ड बीम (Focussed Beam) उत्पन्न करने के लिए किया जाता है। CRT द्वारा उत्पन्न इलेक्ट्रॉनों की फोकस्ड बीम, कैथोड किरण कहलाती है। CRT में एनोड का प्रयोग करके कैथोड किरणें उत्पन्न की जाती हैं। यह कैथोड किरणें, इलेक्ट्रॉन गन से निकलती है तथा क्षैतिज व ऊर्ध्वाधर विक्षेपण प्लेटों (Deflection Plates) के मध्य से गुजरती है। समय आधारित सिग्नल (Time Base Signal) के द्वारा किरण को नियंत्रित करके CRT की स्क्रीन पर वांछित तरंग को प्लॉट (Plot) करते हैं। CRO में पर्दे पर तरंग उत्पन्न करने के लिए कैथोड किरण को क्षैतिज व ऊर्ध्वाधर दोनों दिशाओं में विक्षेपित किया जाता है। विक्षेपण के लिए स्थिर विद्युत व चुम्बकीय सिद्धान्त का प्रयोग किया जाता है।
2. ऊर्ध्वाधर प्रवर्धक (Vertical Amplifier)-
सामान्यतः इनपुट सिग्नल इतने ताकतवार नहीं होते हैं कि वो स्क्रीन पर मापने योग्य विक्षेपण (Measurable Deflection) प्रदान कर सकें। अतः ऊर्ध्वाधर प्रवर्धक का प्रयोग इनपुट सिग्नल को एम्प्लीफाई करने के लिए किया जाता है। इसकी सहायता से अज्ञात सिग्नल को उचित परास (Range) में लाया जाता है ताकि स्क्रीन पर तरंग को ठीक प्रकार से देखा जा सके।
उच्च वोल्टेज सिग्नल को सही परास में लाने के लिए क्षीणक (Attenuator) का प्रयोग करते हैं।
अतः प्रवर्धक तथा क्षीणक की सहायता से अज्ञात इनपुट सिग्नल को उचित आयाम या परास में लाया जाता है।
3. डिले लाइन (Delay Line)-
डिले लाइन का प्रयोग सिग्नल को कुछ समय के लिए विलभित (Delay) करने के लिए किया जाता है। जब हम डिले लाइन का प्रयोग नहीं करते हैं तो सिग्नल का कुछ भाग नष्ट हो जाता है। अतः वर्टीकल प्लेट्स पर इनपुट सिग्नल को प्रत्यक्ष रूप से आरोपित नहीं किया जाता है, बल्कि इनपुट सिग्नल को डिले लाइन सर्किट के द्वारा कुछ समय के लिए डिले किया जाता है, उसके बाद वर्टीकल प्लेट्स पर आरोपित किया जाता है।
4. ट्रिगर्ड सर्किट (Triggered Circuit)-
क्षैतिज विक्षेपण को ऊर्ध्वाधर विक्षेपण के साथ समकालिक (Synchronize) बनाने के लिए ट्रिगरिंग परिपथ (Triggering Circuit) का प्रयोग किया जाता है, क्योंकि यह आवश्यक है कि प्रत्येक समय, जिस बिन्दु पर इनपुट वर्टीकल सिग्नल स्वीप (Sweep) होता है उसी बिन्दु से क्षैतिज विक्षेपण (Horizontal Deflection) शुरू हो ।
ट्रिगर्ड सर्किट आने वाले (incoming) सिग्नल को ट्रिगरिंग पल्सों (Triggering Pulses) में बदलता है, जिनका उपयोग सिन्क्रोनाइजेशन (Synchronization) में होता है।
5. टाइम बेस जनरेटर (Time Base Generator)-
टाइम बेस जनरेटर का प्रयोग सॉटूथ (Sawtooth) वोल्टेज को उत्पन्न करने में किया जाता है जो कि बीम को क्षैतिज अक्ष में मोड़ता (Deflect) है। यह वोल्टेज एक नियत समय की दर पर स्पॉट को मोड़ता है। अतः स्क्रीन पर x-अक्ष को समय द्वारा प्रदर्शित किया जाता है जो कि समय परिवर्ती सिग्नल (Time Varying Signals) को डिस्प्ले तथा एनालाइज करने में सहायता प्रदान करती है।
6. पावर सप्लाई (Power Supply) –
CRO में दो प्रकार की पावर सप्लाई की आवश्यकता होती है। उच्च पावर सप्लाई CRT के लिए तथा अन्य साधारण सप्लाई CRO के दूसरे इलेक्ट्रॉनिक परिपथ के लिए। CRT के लिए 1000 से 1500V तक की पावर सप्लाई की आवश्यकता होती है।
आज आपने क्या सीखा :-
अब आप जान गए होंगे कि CRO के विभिन्न भाग इन सभी सवालों का जवाब आपको अच्छी तरह से मिल गया होगा|
उम्मीद करता हूं कि मेरे द्वारा दी गई जानकारी आपको पसंद आई होगी अगर आपके मन में कोई भी सवाल/सुझाव है तो मुझे कमेंट करके नीचे बता सकते हो मैं आपके कमेंट का जरूर जवाब दूंगा| अगर आपको यह पोस्ट पसंद आई है तो अपने दोस्तों रिश्तेदारों के साथ में शेयर भी कर सकते हो