दोस्तों आज इस आर्टिकल में हम जानेंगे शक्ति एवं वितरक परिणामित्र में अन्तर के बारे में बहुत ही अच्छे तरीके से इन सब के बारे में जानकारी देने वाला हूं| तो चलिए शुरू करते हैं |
वितरण/वितरक परिणामित्र –
जब विद्युत शक्ति के वितरण के लिए ट्रांसफॉर्मर का उपयोग होता. है तो इन्हें वितरण ट्रांसफॉर्मर कहा जाता है। इनकी क्षमता अधिकतम 750 kVA तक होती है। ये 24 घंटे कार्यरत रहते हैं। 24 घंटे चलने के कारण इसकी स्थिर हानि (Constant loss) जिसे लौह हानि (iron loss) भी कहते हैं, लगातार होती रहती है अतः अभिकल्पन (design) में इसका मान कम रखा जाता है।
शक्ति परिणामित्र-
(a) उच्चायी परिणामित्र (Step-up Transformer) – यह परिणामित्र कम वोल्टेज को अधिकतम वोल्टेज में परिवर्तित करता है तथा इसकी प्राथमिक कुण्डली में कम वोल्टता देने पर द्वितीयक कुण्डली में अधिक वोल्टता प्राप्त होती है, इसमें द्वितीयक कुण्डली में फेरों की संख्या प्राथमिक कुण्डली से अधिक होती है।

(b) अपचायी परिणामित्र (Step down Transformer) – इसमें प्राथमिक कुण्डली में अधिक वोल्टेज दिया जाता है तो द्वितीयक कुण्डली में कम वोल्टेज प्राप्त होता है। यह प्राथमिक कुण्डली में द्वितीयक कुण्डली से फेरों की संख्या अधिक होने की वजह से होता है।

आज आपने क्या सीखा :-
अब आप जान गए होंगे कि शक्ति एवं वितरक परिणामित्र में अन्तर इन सभी सवालों का जवाब आपको अच्छी तरह से मिल गया होगा|
उम्मीद करता हूं कि मेरे द्वारा दी गई जानकारी आपको पसंद आई होगी अगर आपके मन में कोई भी सवाल/सुझाव है तो मुझे कमेंट करके नीचे बता सकते हो मैं आपके कमेंट का जरूर जवाब दूंगा| अगर आपको यह पोस्ट पसंद आई है तो अपने दोस्तों रिश्तेदारों के साथ में शेयर भी कर सकते हो