LCR मीटर को विस्तारपूर्वक समझाइए?

दोस्तों आज इस आर्टिकल में हम जानेंगे LCR मीटर के बारे में बहुत ही अच्छे तरीके से इन सब के बारे में जानकारी देने वाला हूं| तो चलिए शुरू करते हैं |

LCR मीटर को एक मल्टीमीटर के रूप में जाना जाता है, इसका कारण यह है कि इसमें आवश्यकता के अनुसार रजिस्टेंस (R), इंडक्टेंस (L), कैपेसिटेंस (C) को मापा जा सकता है। इस प्रकार, इसे LCR मीटर कहा जाता है। इसके नामकरण में L प्रेरकत्व को प्रदर्शित करता है, C का मतलब धारिता होता है और R प्रतिरोध को प्रदर्शित करता है।

LCR मीटर में महत्वपूर्ण कम्पोनेंट व्हीटस्टोन सेतु और RC अनुपात-भुजा परिपथ होता है। जिस कम्पोनेंट के मान को मापा जाना है, वह सेतु की एक भुजा में जुड़ा हुआ होता है। विभिन्न प्रकार के मानों के लिए अलग-अलग नियम है।

उदाहरण के तौर पर, यदि रजिस्टेंस के मान को मापा जाना है, तो व्हीटस्टोन सेतु ध्यान में आता है जबकि RC अनुपात-भुजा परिपथ में उपलब्ध मानक धारिता के साथ तुलना करके प्रेरकत्व और धारिता के मान को ज्ञात किया जा सकता है।

उपरोक्त आरेख में स्पष्ट रूप से LCR मीटर के कनेक्शन डायग्राम को परिभाषित किया गया है। DC राशियों का मापन DC वोल्टेज के साथ एक्साइटिंग ब्रिज द्वारा किया जाता है। इसके विपरित, AC राशियों के मापन हेतु AC सिग्नल के साथ व्हीटस्टोन सेतु के एक्साइटेशन की आवश्यकता होती है।

AC एक्साइटेशन प्रदान करने के लिए, सर्किट में ऑसिलेटर का उपयोग होता है। यह 1 kHz तक की फ्रीक्वेंसी उत्पन्न कर सकता है।

1. LCR मीटर की कार्यविधि-

सेतु को पूरी तरह से संतुलित करने के लिए नल की स्थिति में समायोजित किया जाता है। इसके अलावा, सेतु के संतुलन के साथ मीटर की संवेदनशीलता को भी समायोजित किया जाता है। ब्रिज से मिले आउटपुट को एमिटर-फॉलोअर सर्किट को फीड किया जाता है। एमिटर फॉलोवर परिपथ से मिले आउटपुट को डिटेक्टर प्रवर्धक के इनपुट के रूप में दिया जाता है।

डिटेक्टर प्रवर्धक के महत्व को इस प्रकार से समझा जा सकता है कि यदि मापे जाने वाले सिग्नल का मैग्नीट्यूड कम होता है, तो यह PMMC मीटर के इंडिकेटर को स्थानांतरित करने में असक्षम होगा। इस प्रकार, स्थायी सिग्नल प्राप्त करने के लिए उच्च मैग्नीट्यूड मापन सिग्नल की जरूरत होती है।

लेकिन मापन प्रक्रिया के दौरान, अटेनुएशन फैक्टर के कारण मापे जाने वाले सिग्नल का मैग्नीट्यूड कम हो जाता है। इस समस्या के समाधान के लिए एक प्रवर्धक का उपयोग किया जाता है।

AC सिग्नल को DC सिग्नल में बदलने के लिए परिपथ में रेक्टिफायर का उपयोग किया जाता है। जब सेतु को AC उद्दीपन प्रदान किया जाता है तब सेतु के आउटपुट सिरे पर AC सिग्नल को DC सिग्नल में परिवर्तित करने की आवश्यकता होती है।

2. LCR मीटर का प्रफंट पैनल-

जिस घटक को मापा जाना है, उसे LCR मीटर के टेस्ट टर्मिनलों के एक्रॉस रखा जाता है, जिसके बाद घटक के प्रकार एवं विमाओं के अनुसार उसका मापन किया जाता है। LCR मीटर द्वारा मापन की प्रक्रिया को समझने के लिए, फ्रंट पैनल पर फंक्शनल कंट्रोल को समझने की आवश्यकता होती है।

LCR मीटर के फ्रंट पैनल के कन्ट्रोलिंग टर्मिनल्स निम्न हैं-

  1. ऑन/ऑफ स्विच (ON/OFF Switch)- इस स्विच का उपयोग LCR मीटर को ऑन या ऑफ करने के लिए किया जा सकता है। जब इसेON किया जाता है, तो मुख्य सप्लाई LCR मीटर से जुड़ी होती है। इसके बाद 15 मिनट के लिए मीटर को छोड़ना महत्वपूर्ण होता है ताकि यह गर्म हो सके। LCR मीटर को यह इंगित करने के लिए ऑन किया जाता है कि फ्रंट पैनल पर इंडिकेटर चमकना स्टार्ट हो जाए।
  2. टेस्ट टर्मिनल (Test Terminals)- फ्रंट पैनल पर दो प्वॉइंट टेस्ट टर्मिनल लगे होते हैं। जिस घटक का मापन किया जाता है उसे इन टेस्ट टर्मिनलों से जोड़ा जाता है।
  3. फंक्शन सलेक्टर (Function Selector)- फंक्शन सलेक्टर का उपयोग विशेष प्रकार के घटक को मापने के लिए मोड में मीटर की स्थापना के लिए किया जाता है। यदि प्रतिरोध को मापा जाए तो फंक्शन सलेक्टर को R मोड पर सेट किया जाता है। प्रेरकत्व को मापने के लिए इसे L मोड पर समायोजित किया जाता है और इसी तरह धारिता के लिये इसे C मोड पर समायोजित किया जाता है।
  4. रेंज सलेक्टर (Range Selector)- रेंज सलेक्टर किसी घटक की सीमा को मापने का यंत्र होता है, जिससे उच्च मैग्नीट्यूड या कम मैग्नीट्यूड मानों के घटकों को आसानी से मापा जा सकता हैं। सही माप के लिए रेंज सलेक्टर को ठीक से समायोजित किया जाना चाहिए।

उदाहरण के लिए– यदि 10 मेगा ओह्म के प्रतिरोध का मापन करना है और रेंज सलेक्टर ओह्म में है, तो यह विश्वसनीय और सटीक परिणाम नहीं दिखाएगा।

सर्किट में मल्टीप्लायर का उपयोग करके उपकरण की सीमा को बढ़ाया जा सकता है। मल्टीप्लायर में धातु फिल्म से बने उच्च परिशुद्धता प्रतिरोधों का समावेश होना चाहिए। इसके अलावा, इसमें उच्च तापमान स्थिरता होनी चाहिए।

  1. स्केल (Scale) – LCR मीटर पर कैलिब्रेटेड स्केल, माप के अंतिम मानों को दर्शाता है। इंडिकेटर, मापित मान दिखाने के लिए कैलिब्रेटेड पैमाने का प्रयोग करता है।

मीटर का उपयोग (Use of Meter)

जब हम अज्ञात मान के घटक को माप रहे हैं, तो उच्चतम मान पर LCR मीटर की सीमा का चयन करना चाहिए। ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि हम घटकों की सीमा नहीं जानते हैं। इसके बाद सीमा, लॉस (Loss) फैक्टर और सेंसिटिविटी को समायोजित करके सेतु में नल विक्षेपण प्राप्त करें।

आज आपने क्या सीखा :-

अब आप जान गए होंगे कि LCR मीटर इन सभी सवालों का जवाब आपको अच्छी तरह से मिल गया होगा|

उम्मीद करता हूं कि मेरे द्वारा दी गई जानकारी आपको पसंद आई होगी अगर आपके मन में कोई भी सवाल/सुझाव है तो मुझे कमेंट करके नीचे बता सकते हो मैं आपके कमेंट का जरूर जवाब दूंगा| अगर आपको यह पोस्ट पसंद आई है तो अपने दोस्तों रिश्तेदारों के साथ में शेयर भी कर सकते हो

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