मैगर की संरचना एवं कार्य सिद्धान्त लिखिए?

दोस्तों आज इस आर्टिकल में हम जानेंगे मैगर की संरचना एवं कार्य सिद्धान्त के बारे में बहुत ही अच्छे तरीके से इन सब के बारे में जानकारी देने वाला हूं| तो चलिए शुरू करते हैं |

चित्र में मैगर के आवश्यक भाग दिखाए गए हैं। इसमें एक धारा कुण्डली तथा दो विभव कुण्डलियां V1 तथा V2 होती हैं। वोल्टेज कुण्डली v1 annular magnetic core को embrace कर लेती है। चित्र से स्पष्ट है कि v1 दुर्बल चुम्बकीय क्षेत्र में है जब पॉइन्टर a स्थिति पर है अतः यह कुण्डली बहुत कम बल आघूर्ण उत्पन्न करती है।

वोल्टेज कुण्डली द्वारा exerted बल आघूर्ण बढ़ता है जब यह शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र में प्रवेश करती है। तथा यह बल आघूर्ण अधिकतम होता है जब यह pole face के अन्दर होती है तथा पॉइन्टर प्रतिरोध स्केल के zero end पर होता है। वोल्टेज परिपथ में बल आघूर्ण को modify करने के लिए, अन्य वोल्टेज कुण्डली V2 का प्रयोग किया जाता है। यह कुण्डली इस प्रकार स्थित होती है कि जब पॉइन्टर, ∞ स्थिति से शून्य स्थिति पर जाता है तो यह शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र में move करती है।

दोनों वोल्टेज कुण्डलियां V1 तथा V2 का combined action इस प्रकार माना जाता है कि कुण्डलियां variable stiffness की spring constitute करती हैं। तथा जब स्केल के zero end के पास बहुत shift होती है तब धारा का मान बहुत अधिक होता है तथा जब स्केल के होती है तब धारा का मान बहुत कम होता है। end के पास बहुत दुर्बल

इस प्रकार यह प्रभाव स्केल के कम प्रतिरोध वाले भाग को compress करता है तथा अन्य प्रतिरोध वाले भाग को open up करता है। इसी कारण – इसे ‘insulation tester की तरह काम में लिया जाता है।

आज आपने क्या सीखा :-

अब आप जान गए होंगे कि मैगर की संरचना एवं कार्य सिद्धान्त इन सभी सवालों का जवाब आपको अच्छी तरह से मिल गया होगा|

उम्मीद करता हूं कि मेरे द्वारा दी गई जानकारी आपको पसंद आई होगी अगर आपके मन में कोई भी सवाल/सुझाव है तो मुझे कमेंट करके नीचे बता सकते हो मैं आपके कमेंट का जरूर जवाब दूंगा| अगर आपको यह पोस्ट पसंद आई है तो अपने दोस्तों रिश्तेदारों के साथ में शेयर भी कर सकते हो

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