दोस्तों आज इस आर्टिकल में हम जानेंगे P.M.M.C. उपयंत्र के विभिन्न प्रकार की त्रुटियां के बारे में बहुत ही अच्छे तरीके से इन सब के बारे में जानकारी देने वाला हूं| तो चलिए शुरू करते हैं |
P.M.M.C. उपयंत्र के विभिन्न प्रकार की त्रुटियां
चल कुण्डली (PMMC) उपयंत्रों में त्रुटि उत्पन्न होने के सम्भावित कारण निम्न हैं
(a)तापमान प्रभाव के एजिंग (ageing) के कारण स्थायी चुम्बकों का कमजोर होना।
(b) तापमान के प्रभाव तथा एजिंग (ageing) के कारण स्प्रिंग (spring) का कमजोर होना।
(c) तापमान के चल कुण्डली उपयंत्रों के प्रतिरोध में परिवर्तन ।
(a) स्थायी चुम्बक (Permanent magnet) –
चुम्बकत्व के स्थायित्व के क्रम में, चुम्बकत्व, ऊष्मा तथा वाइबरेशन ट्रीटमेंट (उपचार) के दौरान फीका पड़ जाता है। यह प्रक्रिया प्रारंभिक चुम्बकत्व को नुकसान पहुंचाती है।
(b) स्प्रिंगस (Springs) –
सामग्री के सावधानीपूर्वक रख-रखाव तथा Manufacture के दौरान Pre-ageing से springs के कमजोर होने (weakening) को कम किया जा सकता है। फिर भी स्प्रिंगस (springs) के कमजोर होने का प्रभाव चुम्बक के एजिंग (ageing) होने पर उपकरण की performance के विपरीत होता है। चुम्बकत्व के कमजोर होने पर यह धारा के किसी निश्चित मान (value) पर विक्षेप घटता है जबकि स्प्रिंग (spring) कमजोर होने पर विक्षेप बढ़ता है।
स्थायी चुम्बक चल कुण्डली उपयंत्रों में तापमान को 1°C बढ़ाने पर स्प्रिंग की शक्ति (strength) 0.04% और चुम्बक के वायु अन्तराल का फ्लक्स घनत्व लगभग 0.02% से घटता है। इस प्रकार औसत रूप से विक्षेप लगभग 0.02% per °C बढ जाता है।
(c) चल कुण्डली (Moving coil) –
किसी भी मापन उपयंत्र की चल कुण्डली कॉपर (copper) wire के साथ, जिसका तापमान गुणांक 0.004/°C हो, के साथ बांधी (wound) जाती है। जब उपयंत्र को माइक्रो-अमीटर या मिली-अमीटर की तरह उपयोग किया जाता है और उपयंत्र की चल कुण्डली को सीधे ही निर्गत (output) टर्मिनल के साथ जोड (connect) दिया जाता है, तब स्थायी धारा (constant current) के लिए उपयंत्र का विक्षेप 0.04% per °C तापमान के बढ़ने के साथ घटता है।
चल कुण्डली उपयंत्र को वोल्टमीटर की तरह उपयोग करने की स्थिति में एक उच्च श्रेणी प्रतिरोध जिसका तापमान गुणांक नगण्य हो (मैगनिन धातु से बना हुआ) उपयोग किया जाता है। इसका प्रयोग करने से तापमान के कारण उत्पन्न हुई त्रुटि (error) दूर हो जाती है क्योंकि कॉपर कुण्डली उपयंत्र परिपथ के कुल प्रतिरोध के बहुत ही कम अंश को ही form करती है और इस प्रकार प्रतिरोध में कोई भी बदलाव इसके कुल प्रतिरोध पर नगण्य प्रभाव डालता है।
जब उपयंत्र की धारा परास (range) को shunt का उपयोग करके बढाया जाता है तब स्थिति भिन्न होती है। इस स्थिति में त्रुटि के उत्पन्न होने का मुख्य कारण मैगनिन शण्ट (shunt) की तुलना में कॉपर चल कुण्डली में सापेक्षिक प्रतिरोध में बडे बदलाव (large change) के कारण है क्योंकि कॉपर का मैगनिन की तुलना में प्रतिरोध तापमान गुणांक अधिक होता है। इस त्रुटि को कम (Reduce) करने के लिए चल कुण्डली के श्रेणी क्रम में प्रतिरोध जिसे swamping प्रतिरोध कहते हैं, जो मैगनिन से बना होता है, प्रयुक्त किया जाता है ताकि कॉपर कुण्डली कुल प्रतिरोध (कुण्डली का प्रतिरोध तथा swamping प्रतिरोध) के कुछ अंश को ही form करे। यह swamping प्रतिरोध अमीटर के अंशशोधन (calibration) के लिए भी उपयोग किया जाता है।
आज आपने क्या सीखा :-
अब आप जान गए होंगे कि P.M.M.C. उपयंत्र के विभिन्न प्रकार की त्रुटियां इन सभी सवालों का जवाब आपको अच्छी तरह से मिल गया होगा|
उम्मीद करता हूं कि मेरे द्वारा दी गई जानकारी आपको पसंद आई होगी अगर आपके मन में कोई भी सवाल/सुझाव है तो मुझे कमेंट करके नीचे बता सकते हो मैं आपके कमेंट का जरूर जवाब दूंगा| अगर आपको यह पोस्ट पसंद आई है तो अपने दोस्तों रिश्तेदारों के साथ में शेयर भी कर सकते हो