दोस्तों आज इस आर्टिकल में हम जानेंगे एमोरफस कोर के बारे में बहुत ही अच्छे तरीके से इन सब के बारे में जानकारी देने वाला हूं| तो चलिए शुरू करते हैं |
एमोरफस कोर –
पिघली हुई धातु को जब ठोस अवस्था में लाने के लिए ठंडा किया जाता है तब वह रेन्डम परमाणु संरचना के रूप में व्यवस्थित हो जाती है, ना कि गैर-क्रिस्टलीय। इस धातु को एमोरफस कहा जाता है। यह कांच से मिलती जुलती धातु होती है और इसे ‘ग्लास मेटल’ भी कहा जाता है।
आवश्यक शीतलन दर को प्राप्त करने के लिए इस धातु की मोटाई 0.025mm अर्थात् CRGO स्टील से 1/10 वां भाग रखा जाता है। सेचुरेशन लिमिट कम होने के कारण इस धातु से बनाए जाने वाले कोर, आकार में बड़े होते हैं, फलस्वरूप बड़ी कॉइल और बड़े टैंक की आवश्यकता होती है।
एमोरफस मेटल स्ट्रीप, CRGO स्ट्रीप की तुलना में चार गुणा ज्यादा कठोर होती है। इस प्रकार कठोरता के साथ-साथ मोटाई को कम करने से स्लिटिंग तथा शियरिंग (पतले स्ट्रेक्स में बांटना) की समस्या उत्पन्न हो जाती है। एमोरफस मेटल में ब्रीटलनेस (भंगुरता) ज्यादा होती है। इन कारणों से एमोरफस मेटल कम प्रयोग में लिया जाता है।
एमोरफस मेटल के क्रिस्टल स्ट्रक्चर तथा रेन्डम परमाणु संरचना होने के कारण इसमें चुम्बकीयकरण कम क्षेत्र में तथा उच्च विद्युत प्रतिरोध किता होती है। कम चुम्बकीयकरण क्षेत्र में होने से हिस्टेरेसिस हानियां कम तथा उच्च विद्युत प्रतिरोधकता होने से भंवर धारा हानियां (Eddy current loss) कम होती हैं।
आज आपने क्या सीखा :-
अब आप जान गए होंगे कि एमोरफस कोर इन सभी सवालों का जवाब आपको अच्छी तरह से मिल गया होगा|
उम्मीद करता हूं कि मेरे द्वारा दी गई जानकारी आपको पसंद आई होगी अगर आपके मन में कोई भी सवाल/सुझाव है तो मुझे कमेंट करके नीचे बता सकते हो मैं आपके कमेंट का जरूर जवाब दूंगा| अगर आपको यह पोस्ट पसंद आई है तो अपने दोस्तों रिश्तेदारों के साथ में शेयर भी कर सकते हो