परिणामित्र के पश्च-पश्च परीक्षण का सचित्र वर्णन कीजिए?

दोस्तों आज इस आर्टिकल में हम जानेंगे पश्च-पश्च परीक्षण परिणामित्र पर के बारे में बहुत ही अच्छे तरीके से इन सब के बारे में जानकारी देने वाला हूं| तो चलिए शुरू करते हैं |

पश्च-पश्च परीक्षण परिणामित्र पर –

यह परीक्षण ट्रांसफॉर्मर की दक्षता, नियमन के साथ-साथ पूर्ण-भार पर ताप वृद्धि को मापने के लिए किया जाता है, यह तब ही सम्भव होता है जब दो समान ट्रांसफॉर्मर लगे हों।

एक ट्रांसफॉर्मर को लोड कर दूसरी तरफ दोनों को सप्लाई से जोड़ दिया जाता है, दोनों ट्रांसफॉर्मर की हानियों तथा कंट्रोल परिपथ में छोटी-मोटी हानि को नगण्य करने के लिए सप्लाई से ऊर्जा लेना आवश्यक होता है। चित्रानुसार दोनों ट्रांसफॉर्मरों की प्राथमिक कुण्डलियां एक ही प्रत्यावर्ती धारा सप्लाई से समान्तर क्रम में जोड़ दी जाती हैं। जब स्विचर ऽ खुला हो तो इस स्थिति में w_{1} वाटमीटर दोनों ट्रांसफॉर्मरों की कोर हानि को मापता है। परिणामित्रों की द्वितीयक कुण्डलियों को परस्पर इस प्रकार संयोजित किया जाता है कि उनके विभव परस्पर विरोधी हों, जैसे V AB =V CD और A को C से जोड़ देते हैं व B को D से जोड़ देते हैं, इस स्थिति में दोनों द्वितीयक कुण्डलियों द्वारा बने लूप में कोई दूसरा करंट नहीं प्रवाहित करता है।

T एक सामान्य निम्न वोल्टता ट्रांसफॉर्मर होता है जो द्वितीयक लूप परिपथ में धारा तथा वेरियबल वोल्टेज देता है तथा दोनों को व्यवस्थित करता है।

अगर T को सही तरीके से व्यवस्थित किया जाए तो द्वितीयक लूप में I2धारा प्रवाहित होने लगती है, चित्रानुसार I2Dसे C तक तथा A से B तक प्रवाहित होती है और धारा I 1, लूप FEJLGHMF में प्रवाहित होती है जो w1 वाटमीटर से नहीं गुजरती, w1 निरंतर कोर हानि की गणना करता रहता है तथा w2 पूर्ण-भार पर ताम्र हानि की गणना करता है। इस प्रकार एक ही ट्रांसफॉर्मर की हानियों में हम दोहरी धारा का उपयोग करते हैं।

आज आपने क्या सीखा :-

अब आप जान गए होंगे कि पश्च-पश्च परीक्षण परिणामित्र पर इन सभी सवालों का जवाब आपको अच्छी तरह से मिल गया होगा|

उम्मीद करता हूं कि मेरे द्वारा दी गई जानकारी आपको पसंद आई होगी अगर आपके मन में कोई भी सवाल/सुझाव है तो मुझे कमेंट करके नीचे बता सकते हो मैं आपके कमेंट का जरूर जवाब दूंगा| अगर आपको यह पोस्ट पसंद आई है तो अपने दोस्तों रिश्तेदारों के साथ में शेयर भी कर सकते हो

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