दोस्तों आज इस आर्टिकल में हम जानेंगे DC मोटर का सिद्धान्त के बारे में बहुत ही अच्छे तरीके से इन सब के बारे में जानकारी देने वाला हूं| तो चलिए शुरू करते हैं |
दिष्ट धारा जनित्र तथा दिष्ट धारा मोटर में ज्यादा अंतर नहीं होता है अर्थात् हम एक दिष्ट धारा मशीन में दिष्ट धारा जनरेटर या मोटर को उपयोग में ले सकते हैं। D.C. मोटर के प्रकार भी जनरेटर जैसे होते हैं अर्थात् D.C. मोटर शन्ट कुण्डलित, श्रेणी कुण्डलित और संयुक्त कुण्डलित प्रकार की होती है।

चित्र 1 में दो से अधिक ध्रुवों वाली मोटर दिखाई गई है। इसमें क्षेत्र चुम्बक को उत्तेजित किया जाता है तथा मुख्य सप्लाई द्वारा आर्मेचर चालक में धारा प्रवाहित की जाती है। इससे चालकों में एक बल उत्पन्न होता है जिससे आर्मेचर घूमने लगता है व आर्मेचर में बहने वाली चालक धारा को N पोल के नीचे बुश से दूर जाते हुए दिखाया गया है जिसे से दर्शाया गया है और S पोल के नीचे चालक धारा को बुश की तरफ आते हुए दिखाया गया है जिसे से दर्शाया गया है। कम्यूटेटर का मुख्य कार्य मोटर में भी दिष्ट धारा जनित्र की तरह ही होता है।

यह धारा को डी.सी. से ए.सी. में परिवर्तित कर आर्मेचर को देता है जिससे लगातार एक यूनिडायरेक्शनल (Unidirectional) घूर्णन उत्पन्न होता रहता है।
आज आपने क्या सीखा :-
अब आप जान गए होंगे कि DC मोटर का सिद्धान्त इन सभी सवालों का जवाब आपको अच्छी तरह से मिल गया होगा|
उम्मीद करता हूं कि मेरे द्वारा दी गई जानकारी आपको पसंद आई होगी अगर आपके मन में कोई भी सवाल/सुझाव है तो मुझे कमेंट करके नीचे बता सकते हो मैं आपके कमेंट का जरूर जवाब दूंगा| अगर आपको यह पोस्ट पसंद आई है तो अपने दोस्तों रिश्तेदारों के साथ में शेयर भी कर सकते हो